बीच सड़क पर पड़ी रही डॉक्टर की बॉडी

चेन्नई के न्यूरोसर्जन डॉ सिमोन हर्क्यूलस की कोरोना से मौत के बाद उनकी बॉडी के साथ जो सलूक हुआ वो बेहद घृणास्पद है. दो कब्रिस्तान में न सिर्फ उनकी बॉडी को दफनाने नहीं दिया गया, बल्कि एक बार तो जिस एम्बुलेंस में डेडबॉडी रखी थी, उसके शीशे तोड़ दिए गए, ड्राइवर को पीटा गया.


इस पूरे घटना के गवाह हैं डॉ सिमोन के मित्र डॉ प्रदीप जो उस वाकये को याद कर सिहर उठते हैं. डॉ प्रदीप रविवार की इस घटना को बताते हुए कहते हैं कि ऐसा तो दुश्मन के साथ भी नहीं होना चाहिए.


डॉ प्रदीप बताते हैं कि किलपॉक कब्रिस्तान में बॉडी दफनाने का लोग विरोध कर रहे थे, इसलिए वे अन्ना नगर कब्रिस्तान जा रहे थे. तभी इगा थियेटर के पास उनके एम्बुलेंस को रोक दिया गया, उसमें डेडबॉडी थी, बदमाशों ने ड्राइवर को पीटा और एम्बुलेंस के शीशे तोड़ दिए.


बीच सड़क में टूटे हुए एम्बुलेंस में डॉक्टर की डेडबॉडी काफी देर तक पड़ी रही. ये उस डॉक्टर के साथ बर्ताव किया गया जिसने उम्र भर लोगों की सेवा की, लेकिन कोरोना की वजह से मौत होने के बाद कुछ लोग उन्हें कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दे रहे थे.


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खुद एम्बुलेंस चलाकर डेडबॉडी ले गए डॉक्टर


इस घटना के बाद डॉ प्रदीप ने वहां मौजूद लोगों से रहम की भीख मांगी और एम्बुलेंस ड्राइवर की मदद करने की अपील की. वो शख्स पिटाई से इतना बदहवास हो गया था कि वो गाड़ी चलाने के काबिल नहीं बचा था. इसके बाद पीपीई पहने डाक्टर प्रदीप ने खुद ड्राइविंग सीट संभाली और दो वार्ड ब्वॉय को लेकर डेडबॉडी के साथ किसी तरह एक कब्रिस्तान पहुंचे. इस समय रात के 9 बज रहे थे. 10 से 11 बजे रात तक उन्होंने हंगामा शांत होने का इंतजार किया. तब वहां से निकले.